मोहब्बत मेरी थी
मोहब्बत मेरी थी तो अंदाजा तुम्हे कहाँ आयेगा!
इश्क मेरी थी तो इशारा तुम्हे कहाँ समझ आयेगा!!
मैं तो खुल कर प्यार करने लगा था,
पर तेरे बेगैर यह सफल कहाँ हो पायेगा!!!
———————०००———————-
कवि : जय लगन कुमार हैप्पी
मोहब्बत मेरी थी तो अंदाजा तुम्हे कहाँ आयेगा!
इश्क मेरी थी तो इशारा तुम्हे कहाँ समझ आयेगा!!
मैं तो खुल कर प्यार करने लगा था,
पर तेरे बेगैर यह सफल कहाँ हो पायेगा!!!
———————०००———————-
कवि : जय लगन कुमार हैप्पी