“मोहब्बत के खत आया करते है”
मेरे नाम पर जब मोहब्बत खत आया करते हैं
कुछ लफ़्ज़ रूलाते है कुछ अल्फाज़ हसाया करते हैं
लिखकर नाम मेरा आईने पर वो हर रोज़ मिटाता हैं
हम उनकी तस्वीर से जमी हुई धूल रोज़ हटाया करते हैं
अदाएँ सीखी हुई थी नज़रों से तीर चलाने की उन्होंने
खुदा जाने वो कितनों पर निशाना कितनों पे तीर चलाया करते है
वो बताता फिरता है जमाने को हमारी खामियाँ
हम उनके राज़ भी छुपाया करते हैं
यु तो अक्सर मिलता रहता हैं सिकायत क्या करू उससे “राजू”
वो अब भी दिल किसी को खत किसी और को दिया करते हैं
_राजू कुरेशी