मोहब्बत की राहों मे चलना सिखाये कोई।
मोहब्बत की राहों मे चलना सिखाये कोई।
ख्वाब रातों में आकर सताए कोई।
बैठी रहे हर शाम मेरी पलकों की किनारे पर,
दिल चाहता है एक बार आकर ना जाए कोई।
राजेन्द्र “राज”
मोहब्बत की राहों मे चलना सिखाये कोई।
ख्वाब रातों में आकर सताए कोई।
बैठी रहे हर शाम मेरी पलकों की किनारे पर,
दिल चाहता है एक बार आकर ना जाए कोई।
राजेन्द्र “राज”