मोहब्बत की दर्द- ए- दास्ताँ
ख्वाबों के टूटते ही,
आज मेरे आँसूं इस कदर बह रहे हैं…….
बिना कुछ बोले मेरे, मोहब्बत की दर्द- ए- दास्ताँ कह रहे हैं।
ये दर्द जो दिल में छिपा है…..
अब ज़िंदगी को न किसी से गिला है।
जीने का कोई आसरा न रहा……
ख़ुशियों से कोई वास्ता न रहा।
आँसूं बह रहे हैं दरियाँ बनके…..
वो दिल में रह रहे हैं, प्यार का ज़रिया बनके।
इन ख्वाहिशों से कितनी दूर चली गयी ज़िंदगी…..
न जाने क्यों, उसकी बातों में झलकती थी एक अलग – सी सादगी।
आज मेरे अरमाँ अश्क बनके बह रहे हैं…..
बिना कुछ बोले मेरे, मोहब्बत की दर्द- ए- दास्ताँ कह रहे हैं।
टूटते हुए दिल की सिसकियाँ कह रही हैं बार- बार…..
भले ही शामिल न हो सके वो मेरी जिंदगी में,
मगर एक दिन होगा ज़रूर दीदार।
कुछ यूँ, वो मेरी जिंदगी में आये…..
कि इन आँखों को एक अजीब- सी चाहत होने लगी,
उन्हें सामने पाकर इस दिल को एक राहत होने लगी,
मोहब्बत की आदत कुछ इस कदर होने लगी,
यकीनन……
उस रब से भी पहले पूरी शिद्दत से सिर्फ उसी की इबादत होने लगी।
अचानक ही यूँ बिखर गये मेरे अरमाँ,
और आज मेरे आँसूं इस कदर बह रहे हैं…..
बिना कुछ बोले मेरे, मोहब्बत की दर्द- ए- दास्ताँ कह रहे हैं।
जो होना था हो गया…..
जो खोना था खो गया।
टूटता तारा देख मन्नत यही माँगती हूँ…..
इस दिल की उस दिल से मुलाकात माँगती हूँ।
बहुत खूबसूरत हो ज़िंदगी तुम्हारी…..
दुआ यही दिन- रात माँगती हूँ।
एतबार है अपनी मोहब्बत पर…..
एक दिन बहुत पछताओगे।
फ़िर लौट, मेरे पास ही आओगे,
मगर अफ़सोस……
ज़िंदगी में सुबह नहीं, शाम लिखी थी।
अचानक ही…..
ज़िंदगी की कश्ती डूब गयी,
आज ये साँसें हमेशा के लिए छूट गयी।
हाँ, अब मैं न रही…..
ये मोहब्बत जिंदा रहेगी,
दास्ताँ इस सच्ची मोहब्बत की ये दुनिया याद रखेगी।
वक़्त के रहते समझ न सके…..
जब मेरी ज़िंदगी की शाम ढल गयी,
तो लाश बनके आँसूं उसके बह रहे हैं……
बिना कुछ बोले मेरे, मोहब्बत की दर्द- ए- दास्ताँ कह रहे हैं।
_ ज्योति खारी