मोहब्बत का फलसफा भी अजीब होता है।
मोहब्बत का फलसफा भी अजीब होता है।
ताउम्र पहला ईश्क दिल के करीब रहता है।।
जिससे करो मुहब्बत वही रफीक होता है।
चाहने वाला ही अक्सर खुद रकीब होता है।।
उसके चेहरे पर नूर ही नूर नज़र आता है।
अच्छी सूरत वाला दूर से ही दिख जाता है।।
बड़ी खास है मेरे लिए यह पुरानी किताब।
उनका दिया गुलाब इसने संभाल के रखा है।।
दिल पर किसी का जोर ना चल पाता है।
अक्सर गम ए इश्क हर किसी को रुलाता है।।
दोस्ती दुश्मनी वह दोनो ना कर पाता है।
पर मौका मिलते ही इन्सानियत दिखाता है।।
अहसान करके जो ना इसको जताता है।
वही इन्सान दुनियां में फरिश्ता कहलाता है।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ