मोहब्बत का पैगाम
दिल के कोरे काग़ज़
पर कुछ शब्द ,गुमनाम से लिखता हूं *
* मैं तो हर शब्द में मोहब्बत का पैग़ाम लिखती हूं।
आगाज़ दर्द से ही सही पर ,
खुशियों के पैग़ाम लिखता हूं।
मोहब्बत करना कोई फ़िज़ूल का शौंक नहीं
ये तो फरिश्तों की नियामत है।
सारी कायनात ही मोहब्बत की
बदोलत है, मोहब्बत ही तो सच्ची इबादत है।
**हां मैं नफरतों की वादियों से
तंग आकर मोहब्बतें
पैग़ाम भेजती हूं **।
**जितनी तोहमत लगानी है ,लगाओ
हां _ हां मैं इससे _उससे हर शक्स
से मोहब्बत करती हूं **।
**तोहफा ए मोहब्बतें के लिए
मैं ऊपर वाले का शुक्रिया अदा करती हूं
इतने सुंदर किरदार को निभाने की
कला जो मुझको मिली ,
अपने किरदार को निभाने की
भरकस कोशिश करती हूं *।