मोहब्बत का इन्तहांन
मेरी मोहब्बत का
फसलफा ना पूछो
और ना पूछो
तन्हाइयों का आलम
कुछ का मुझे पता है
और कुछ का जबाब
खुदा के भी पास नही ।
जीता हूँ
खुले आशमा के नीचे
धुप-हवा का एहशास नही
जिन्दा हूँ एक आश में
जिसमे खुदा की भी
नीयत साफ नही ।
यही वक्त का फसलफा है
और मोहब्बत का इंतेहाँन
जिन्दा हूँ मरने के लिए
और मर रहा हूँ जीने के लिए ।
खुदा की नाइंसाफी
दुनियाँ की नफरत
मेरे वालिद की नीयत
मेरी मोहब्बत की सीरत
ही आईना है कायनात के लिए ।