मोहब्बतनामा
बड़े प्यार से पतिदेव आए और बोले, प्रिये आज वैलेंटाइन डे है।
कड़छी हाथ में लिए मुड़कर मैंने कहा,
क्याऽऽ, मोहब्बत के भी दिन होते हैं, कैटेगरी होती है
ये तो हमें अब पता चला।
हम तो समझते थे कि सब दिन मोहब्बत के होते हैं।
इकरार में मोहब्बत, तकरार में मोहब्बत,
इज़हार में मोहब्बत, यहां तक कि इनकार में भी मोहब्बत।
मोहब्बत पति की इस नासमझी पर,
जब वह फूल की जगह फूलगोभी ले आए
और चाकलेट की जगह गुड़।
मोहब्बत नहीं आलीशान कैंडल लाइट डिनर में,
मोहब्बत तब, जब लाइट चली जाए
और आप एक दूसरे को कोसें,
कि पता नहीं कैंडल कहां है
और इमरजेंसी लाइट कहां है।
मोहब्बत तब जब शानदार हालीडे की जगह मिलती है,
पारिवारिक वैष्णोदेवी यात्रा।
सही कहा समय पर कुछ नहीं मिलता,
उम्र बीत जाती है अपना घर बनाने में,
बच्चों को सेट करने में।
पर एक चीज समय पर जरूर मिलती है,
वो है एक दूसरे का सहारा,
और चाय के साथ बालकनी का नजारा।