मोहबत है तुम से/मंदीप
मोहबत है कितनी तुम से/मंदीप
आँखो से आँखे एक बार मिलाने दीजिये,
महखाने में अपने हाथो से दो जाम पिला तो दिजिये।
यु ना देखो गुर कर हमे,
एक बार मुस्कुरा दीजिये।
महोबत है कितनी तुम से,
एक बार बया तो करने दीजिये।
कुर्बान मेरा सब कुछ तुम पर,
एक बार हमारा साथ तो दीजिये।
मुसाफिर बन कर बैठा हूँ तेरी राह में,
एक बार दीदार तो करने दीजिये।
कह दो झूठा ही “मंदीप”मोहबात है तुम से,
उस को इसी भृम में जीने दीजिय।
मंदीपसाई