मोहबत एेसी पूजा है …
मोहबत एेसी पूजा है, मोहबत सा नहीं दूजा
एे तो एेसी दौलत है, एे तो एेसी सोहरत है
मिल जाये जिंनहे, खुदा की इबादत है
मोहबत दरद मे भी,सुंकु एहसास देती है
मोहबत विष के पयाले को,अमृत सा वनाती है
मोहबत पाक सचची हो,तो मीरा सा बनाती है
एे तो एेसी नेमत है ,किसी को मिल ही जाती है
मोहबत मॉ की ममता मे,ईशर को दिखाती है
पिलाके दूध छाती से,खुद सूख जाती है.