मोहबत्त
मोहब्बत क्या है?
मोहब्बत क्या है,वो समझाने लगे हैं
गले मिलकर जो रोते थे, वो अब मुस्कुराने लगे हैं
मेरी हर निशानी उसे जान से प्यारी थी
लैला मजनू के जैसी, इक कहानी हमारी थी
मगर वक़्त क्या गुजरा साहिब,
वो सब कुछ लौटाने लगे हैं
गले मिलकर जो रोते थे, वो अब मुस्कुराने लगे हैं
शायद मिल गया होगा कोई शख्स,
उसे अच्छा हमसे
मगर कौन करेगा मेरे जैसा,
इश्क़ सच्चा उनसे
अब अलग बात है वो बेवज़ह दिल को,
बस दो पल बहलाने लगे हैं
गले मिलकर जो रोते थे, वो अब मुस्कुराने लगे हैं
वो तुम ही थीं, जिसके लिए
ज़िन्दगी थे ज़ाना
आज नहीं तो क्या गम है,
कभी खुद से ज्यादा तुमने पहचाना
अब लिखुँ तेरे लिए या कुछ और लिखुँ
यही बात दिल को समझाने लगे हैं
गले मिलकर जो रोते थे, वो अब मुस्कुराने लगे हैं
—— सौरव कुमार करदम ❤❤❤❤❤