मोहन तुम से तुम्हीं हो, ग्रथित अनन्वय श्लेष।
मोहन तुम से तुम्हीं हो, ग्रथित अनन्वय श्लेष।
श्याम बरन आकर्षमय, नाम कृष्ण सविशेष।।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद
मोहन तुम से तुम्हीं हो, ग्रथित अनन्वय श्लेष।
श्याम बरन आकर्षमय, नाम कृष्ण सविशेष।।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद