मोर
जंगल चलो देखने मोर।
करना मत बच्चों तुम शोर।
पंखों के भी रंग हैं कितने।
इंद्रधनुष में होते जितने।।
नाचता है यह पंख पसार।
सब करते हैं इससे प्यार।।
देख के बादल खुश होता।
पैर देखकर यह रोता।।
प्यारी लगती इसको भोर।
राष्ट्रीय पक्षी है यह मोर।।
विजय बेशर्म