मोर
*****मोर (गीत) *******
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कितना सुन्दर पक्षी है मोर,
मनोरम छटा बिखेरे मोर।
रंग बिरंगे पँखो वाला,
नीली लंबी गरदन वाला,
सिर पर कलगी रखे मोर।
कितना सुन्दर पक्षी मोर।
इंद्रधनुषी रंग बिरंगा,
लेता नहीं किसी से पंगा,
मदमस्त मनमोहन मोर।
कितना सुन्दर पक्षी मोर।
कार्तिकेय का है वो वाहन,
मयूर मुकुट लगे मनभावन,
कौतूहल दिखाता है मोर।
कितना सुन्दर पक्षी मोर।
मोर चन्द्रिका है लुभावनी,
चाल भी है बहुत दीवानी,
कानन का सौंदर्य है मोर।
कितना सुन्दर पक्षी मोर।
मनमोहक है नाच दिखाए,
हर जन का मन है महकाए,
पंख फैला कर नाचे मोर।
कितना सुन्दर पक्षी मोर।
मनसीरत के हिय को भाता,
राष्ट्रीय पक्षी है कहलाता,
बंसीधर कृष्ण का है सिरमोर।
कितना सुन्दर पक्षी मोर।
कितना सुन्दर पक्षी मोर।
मनोरम छटा बिखेरे मोर।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)