मोर छत्तीसगढ़ महतारी हे
मोर छत्तीसगढ़ महतारी हे
छत्तीसगढ़ म छत्तीस किला,
खाई हवय चिन्हारी।
अड़बड़ मयारू दाई हवय,
मोर छत्तीसगढ़ महतारी।।
रुख राई के गहना सजे हैं,
लुगरा,हरियर पियर,धान के।
पर्वत पहाड़ मुकुट बनें है,
महिमा हवय माता धाम के।।
मईके जिहां कौशिल्या के,
महानदी के पानी हे।
श्रीराम लला के ममा गांव,
मोर छत्तीसगढ़ महतारी हे।।
बारा बच्छर बन म काटिस
छत्तीसगढ़ के माटी में।
सिरपुर,तुरतुरिया, शबरी धाम,
राजिम के गजब कहानी हे।।
भाचा हे श्री राम चंद्र,सबके,
रिस्ता गजब निराली हे।
गुत्तुर भाखा छत्तीसगढ़ के,
मोर छत्तीसगढ़ महतारी हे।।
बाल्मीकि के सुघ्घर आश्रम
श्रृंगीऋषि बिराजे हे।
गोड़ धोवव,अऊ माथ नवाॅवव
मोरध्वज जईसे दानी हे।।
धान कटोरा, प्लांट बहुत हे
हीरा खान हे भारी।
बड़ मयारू दाई हवय
मोर छत्तीसगढ़ महतारी।।
मिल जुल के सब संगी जहुॅंरिया
खेलथे भौंरा बांटी।
छुआ छूत,भेद भाव,
ईर्ष्या द्वेष नई राखिन ।।
परिवार बनके सबझन रईथन
दुःख सुख के साथी।
महर – महर ममहावत रईथे,
मोर छत्तीसगढ़ के माटी।।
कतेक बखानव गुण संगी,
महिमा हे भारी।
गोड़ धोवव, माथ नवाॅंवव
मोर छत्तीसगढ़ महतारी।।
डाॅ. विजय कुमार कन्नौजे अमोदी वि.खं.आरंग जिला रायपुर छत्तीसगढ़