Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Feb 2021 · 1 min read

मोम की गुड़िया

सांसे मेरी तेज़ हो रही,
ये हवा आज चुभ रही है,
रात के सन्नाटे में फंस गई हूं मैं,
ज़िन्दगी की लौ शायद बुझ रही है..

दिख रही है सामने मेरे मौत खड़ी,
मेरे जिस्म नोंचने को तैयार बड़ी,
देखो वो लोग मेरी ओर बढ़ रहे है,
मेरे हाथ पैर खींचे मोम की गुड़िया समझ रहे है..

कोई तो बचाओ, माँ बहुत दर्द हो रहा है,
ये हैवान, मेरी आत्मा को चीर रहे, ये शरीर शून्य को बढ़ रहा है,
मुझे मैला कर मेरी आहों को दबा रहा है,
ये कलयुग दानव मुझे सता रहा है..

शायद उसके मन की हवस रूपी आग ना बुझी,
वो आग के हवाले ज़िंदा मुझे कर रहा,
पहले अपनी वासना सेंकी फिर मेरा बदन,
ज़िंदा मुझे जला दिया, नहीं मिटेगी तपन..

पर मुझे पता है यहाँ कोई नहीं बोलेगा,
ये कानून है अंधा हर लड़की को निर्भया बना छोड़ेगा,
मेरे लिए कुछ कर सको तो ये करना,
इस बार बेटी नहीं, बेटा को मत जनना।

Language: Hindi
1 Like · 609 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
वैसे तो चाय पीने का मुझे कोई शौक नहीं
वैसे तो चाय पीने का मुझे कोई शौक नहीं
Sonam Puneet Dubey
*कुल मिलाकर आदमी मजदूर है*
*कुल मिलाकर आदमी मजदूर है*
sudhir kumar
दिल के इस दर्द को तुझसे कैसे वया करु मैं खुदा ।
दिल के इस दर्द को तुझसे कैसे वया करु मैं खुदा ।
Phool gufran
अंततः...
अंततः...
हिमांशु Kulshrestha
वो इंतजार ही क्या जो खत्म हो जाए……
वो इंतजार ही क्या जो खत्म हो जाए……
shabina. Naaz
सुना ह मेरी गाँव में तारीफ बड़ी होती हैं ।
सुना ह मेरी गाँव में तारीफ बड़ी होती हैं ।
Ashwini sharma
" कभी नहीं साथ छोड़ेंगे "
DrLakshman Jha Parimal
मुक्तक
मुक्तक
डॉक्टर रागिनी
राख का ढेर।
राख का ढेर।
Taj Mohammad
वादा
वादा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
* कुछ पता चलता नहीं *
* कुछ पता चलता नहीं *
surenderpal vaidya
मुक्तक
मुक्तक
Neelofar Khan
महसूस करो
महसूस करो
Dr fauzia Naseem shad
घमण्ड बता देता है पैसा कितना है
घमण्ड बता देता है पैसा कितना है
Ranjeet kumar patre
दो जून की रोटी
दो जून की रोटी
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
बचपन मेरा..!
बचपन मेरा..!
भवेश
धृतराष्ट्र की आत्मा
धृतराष्ट्र की आत्मा
ओनिका सेतिया 'अनु '
*नववधु ! कभी किसी की झूठी, बातों में तुम मत आना (गीत)*
*नववधु ! कभी किसी की झूठी, बातों में तुम मत आना (गीत)*
Ravi Prakash
"सनद रहे"
Dr. Kishan tandon kranti
मेरा केवि मेरा गर्व 🇳🇪 .
मेरा केवि मेरा गर्व 🇳🇪 .
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
रोशनी का रखना ध्यान विशेष
रोशनी का रखना ध्यान विशेष
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
बाल एवं हास्य कविता : मुर्गा टीवी लाया है।
बाल एवं हास्य कविता : मुर्गा टीवी लाया है।
Rajesh Kumar Arjun
पृथ्वी की दरारें
पृथ्वी की दरारें
Santosh Shrivastava
2721.*पूर्णिका*
2721.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*🌸बाजार *🌸
*🌸बाजार *🌸
Mahima shukla
जिस की दुराग्रही खोपड़ी में बदले की विष-बेल लहलहा रही हो, वहा
जिस की दुराग्रही खोपड़ी में बदले की विष-बेल लहलहा रही हो, वहा
*प्रणय*
प्रेमियों के भरोसे ज़िन्दगी नही चला करती मित्र...
प्रेमियों के भरोसे ज़िन्दगी नही चला करती मित्र...
पूर्वार्थ
गुलाब के काॅंटे
गुलाब के काॅंटे
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
आगे पीछे का नहीं अगल बगल का
आगे पीछे का नहीं अगल बगल का
Paras Nath Jha
दुनिया की हर वोली भाषा को मेरा नमस्कार 🙏🎉
दुनिया की हर वोली भाषा को मेरा नमस्कार 🙏🎉
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
Loading...