“मोम इश्क़ पिघल रहा”
मोम इश्क़ का पिघल रहा है
मेरा दिल भी संभल रहा है
नैनों ने कीं बातें जबसे
ख़्वाब तुम्हारा ही पल रहा है
ये आलम है बेचैनी का
दिल अब करवट बदल रहा है
रूठे हो जबसे तुम मुझसे
मेरा तो दम निकल रहा है
अब तक जो पत्थर सा दिल था
“सीरत अब वो पिघल रहा है
शीला गहलावत सीरत
चण्डीगढ़