मोबाइल
मोबाइल का हर तरफ, बहुत अधिक है जोर।
इंसा इसके सामने, कितना है कमजोर।।
मोबाइल में गुल हुआ, रिश्ते-नाते प्यार।
जीवन शैली का सभी,करते यहाँ प्रचार।।
मोबाइल पर कर रहे, डेटिंग-सेटिंग प्यार।
बिना जान पहचान के, मिलने को तैयार।।
इससे होती दिन शुरू,इसपर होती रात।
नये जमाने को मिला, ये कैसी सौगात।।
मोबाइल लगने लगा,नन्हें शिशु के हाथ।
समय नहीं माँ बापको,बैठें शिशु के साथ।।
सोसल लाइफ है खतम,मोबाइल आरंभ।
अब रिश्तों के बीच में,भरा हुआ है दंभ।।
छोड़-छाड़ के काम सब, इसमें रहते मस्त।
मोबाइल इक रोग है, जिससे सारे ग्रस्त।।
सोच समझ कर कीजिये,अब इसका उपयोग।
वरना पछताना पड़े,सुन लो सारे लोग।।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली