Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Dec 2023 · 2 min read

मोबाइल

📝The Poem:-” मोबाइल ” राजा …📲मोबाइल राजा ने सबके मन पर अब राज किया हैजो पागल है इसके पीछेउनका मुश्किल काज किया है..चलाती है मोबाइल अब दुनिया सारीहर नए स्मार्टफ़ोन को उनका सलाम हैनादान और बेसुध है कई अब तक पढ़े लिखो का भी दंडवत इसको प्रणाम है..रातों की निद्रा उड़ाई इसने और कार्यक्षमता को कमज़ोर कियाजो बस डूबे रहते इसकीं गलियों मेंउनका जीवन नीरस और बोर कियातकनीक कोई अभिशाप नही प्यारेसमझो तो यह वरदान हैउपभोग सीमित किया तो ज्ञान होगावरना हम भी इसके गुलाम है…बेवजह ही उंगलियां कभी स्क्रीन पर चलती हैढीले मन की निगाहें इधर उधर फिसलती हैपरिवार और यार छोड़ दिये हमनें कब सेसिर्फ़ ऑनलाइन गेमिंग में अब शामे ढलती है..मोबाइल ने हमको चलाया हैया हम उसे चलाते हैउलझन में है शायद युवा हमारेइसे नही समझ वो पाते है..दिल, दिमाग की बीमारियों का खौफ बडा हैअनजाने में यह कैसा फितूर चढ़ा हैस्क्रीन टाइम अब कम नही किया तोपक्का यमराज हमारे पीछे पड़ा है..टच स्क्रीन के दलदल मेंसैंकड़ो को पिघलते देखा हैरील्स चलाते हुए हीलाखो क्षण निकलते देखा है..हम माँ से बिछड़े, बाप से बिछड़ेएक ही छत में हो गए टुकड़ेबैठे है एक ही टेबल परमगर है अलग अलग मोबाइल पकड़ेमोबाइल के सफ़ेद प्रकाश नेरातों को काला किया हैबच्चो और बूढों को भीबस कतई ठाला किया है..सृजन क्षमता मिट रही उनकीआँखों पर पड़ गए काले घेरे हैबालक बिगड़ गया गर तो समझ लेनाज़िन्दगी में सिर्फ उसके अँधेरे है..पहले थमाते है मोबाइल खुद उसेऔर आज़ादी से अपनी पीछा छुड़ाते हैजब लगती है लत मोबाइल की बालक कोतब सिर्फ रोते है, मातम मनाते हैमत दो मोबाइल हाथों में उनकोअभी तो अपने साथ खिलाओ नमाता- पिता का ही कर्तव्य है यहबच्चो को तुमथोड़ा रचनात्मक बनाओ न…मोबाइल आपका लत में दुश्मन हैप्यारी नींद को इसने मारा हैयूँ तो ख़ुद को इतना बहादुर समझते है हमपर सामने इसके मन क्यों हारा है?मोबाइल के सन्तुलित प्रयोग काअब हमको कठोर सन्कल्प करना हैमनोरंजन का माध्यम सिर्फ यह फोन नहीहमें सृजनात्मक विकल्प भी कोई रखना है…आँखों की चिंता हमको करनी हैऔर पढ़ाई को भी हमें बचाना हैडिजिटल डिटॉक्स का करके ख़ुदसे वादाअपना स्वर्णिम भविष्य बनाना हैमोबाइल राजा की कोई प्रजा नही हमउसके इशारों पर जो चलती हैविवेक रूप में अनुशासन हमारा साथी हैमर्ज़ी से ही इसकीं हर इच्छा संभलती है…अगर अपनी खूबसूरत आँखों कोबचाने का हमनें इरादा किया हैतो समझना सहज हैमोबाइल से दूरी रखने काखुद से वादा किया है…💠इन खूबसूरत आँखों में पलते है बड़े सपने हमारेऔर उन्हीं में छिपी जीवन की बड़ी आस हैइन निगाहों को बचाना बहुत ज़रूरी हैइसीलियेअब हमारा डिजिटल उपवास “है♥️✨अब हमारा डिजिटल उपवास “है♥️✨

Language: Hindi
75 Views

You may also like these posts

कहीं वैराग का नशा है, तो कहीं मन को मिलती सजा है,
कहीं वैराग का नशा है, तो कहीं मन को मिलती सजा है,
Manisha Manjari
प्रसन्नता
प्रसन्नता
Rambali Mishra
*मैं, तुम और हम*
*मैं, तुम और हम*
sudhir kumar
रही प्रतीक्षारत यशोधरा
रही प्रतीक्षारत यशोधरा
Shweta Soni
इनका एहसास खूब होता है,
इनका एहसास खूब होता है,
Dr fauzia Naseem shad
" सितारे "
Dr. Kishan tandon kranti
मैं जिससे चाहा,
मैं जिससे चाहा,
Dr. Man Mohan Krishna
सत्य की खोज
सत्य की खोज
MEENU SHARMA
2560.पूर्णिका
2560.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
नववर्ष का आगाज़
नववर्ष का आगाज़
Vandna Thakur
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Mahendra Narayan
ज़हर क्यों पी लिया
ज़हर क्यों पी लिया
Surinder blackpen
मेरे स्वप्न में आकर खिलखिलाया न करो
मेरे स्वप्न में आकर खिलखिलाया न करो
Akash Agam
पढ़ाई -लिखाई एक स्त्री के जीवन का वह श्रृंगार है,
पढ़ाई -लिखाई एक स्त्री के जीवन का वह श्रृंगार है,
Aarti sirsat
■ अब सब समझदार हैं मितरों!!
■ अब सब समझदार हैं मितरों!!
*प्रणय*
पराया धन
पराया धन
इंजी. संजय श्रीवास्तव
दुखा कर दिल नहीं भरना कभी खलिहान तुम अपना
दुखा कर दिल नहीं भरना कभी खलिहान तुम अपना
Dr Archana Gupta
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
तबाही की दहलीज पर खड़े हैं, मत पूछो ये मंजर क्या है।
तबाही की दहलीज पर खड़े हैं, मत पूछो ये मंजर क्या है।
पूर्वार्थ
हाथ से मानव मल उठाने जैसे घृणित कार्यो को छोड़ने की अपील करती हुई कविता छोड़ दो।
हाथ से मानव मल उठाने जैसे घृणित कार्यो को छोड़ने की अपील करती हुई कविता छोड़ दो।
Dr. Narendra Valmiki
क्यूँ ये मन फाग के राग में हो जाता है मगन
क्यूँ ये मन फाग के राग में हो जाता है मगन
Atul "Krishn"
!! आराम से राम तक !!
!! आराम से राम तक !!
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
इस देश की ख़ातिर मिट जाऊं बस इतनी ..तमन्ना ..है दिल में l
इस देश की ख़ातिर मिट जाऊं बस इतनी ..तमन्ना ..है दिल में l
sushil sarna
जीवन में सही सलाहकार का होना बहुत जरूरी है
जीवन में सही सलाहकार का होना बहुत जरूरी है
Rekha khichi
ज़माने से मिलकर ज़माने की सहुलियत में
ज़माने से मिलकर ज़माने की सहुलियत में
शिव प्रताप लोधी
आँखों में ज़िंदगी है ज़िंदगी एक ख़्वाब है,
आँखों में ज़िंदगी है ज़िंदगी एक ख़्वाब है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
एक शाम ऐसी थी
एक शाम ऐसी थी
Ritu chahar
सच हार रहा है झूठ की लहर में
सच हार रहा है झूठ की लहर में
डॉ.एल. सी. जैदिया 'जैदि'
एक देशभक्त की अभिलाषा
एक देशभक्त की अभिलाषा
Sarla Mehta
चल रे कबीरा
चल रे कबीरा
Shekhar Chandra Mitra
Loading...