मोन ब्रत
“मोन व्रत,”
बहुत दिनों वाद , मैं ऐक दिन अपने लिये जिया,
जव मैने किसी की नहीं सुनी और मोन ब्रत किया ।
मैं कुछ सातं हुआ, गुस्से का जैसे प्याला निगल लिया ,
इस मोन ने मेरे जीने का अन्दाज ही वदल दिया ।
आज मैंने वापू के तीर वन्दरों का फार्मूला सीख लिया ,
मास्टर ने बहुत था पढाया पर आज अमल किया ।
जीवन जिया ओरों के लिये, अपना ध्यान नहीं किया ,
अव जीता हूं खुद के लिये, जव से ध्यान का ध्यान किया ।
डा. कुशल कटोच
हमारा घर वडोल दाडी धर्मसाला