मोदी जी जिओं हजारों साल
भारत का सपना साँझ लिये ,
सीढ़ी से मंजिल चाल लिये,,
गली – गली में इक सौर लिये ,
कालेधन आशा निवास लीये ,,
चिंतित हैं कालेधन से बेहाल,
मोदी जी जिहज………. 1
भारत में ले आई दीवाली भौर ,
कालेधन वाले चिंतित न शौर,,
रूहानी शामे खा जायेगी शहद,
चिंतित से गर्मी ज्यादा न शरद ,
तब तो अच्छा हैं सर्दी का हाल ,
मोदी जी जिहुआ………. . 2
काले धन से जी न छूट रहा ,
भंवरा नई फिराक ढूंढ रहा ,,
मुश्किल से बुझिला कैद हैं ,
श्री का कहना अब सब रद्द हैं ,,
जी अंत कह रहा अब बदहाल ,
मोदी जी जिहुआ……….. 3
कालेधन को अब के करेगा ,
मद या आकांक्षा से बद रहेगा,
गरीबों का तुम तो लेते रहे हो ,
फिर भी क्या दिल सेक रहे हो,,
तुम तो थे इतने दिन निहाल ,
मोदी जी जिहुआ……….. 4
काले पर ही तुम नाच रहे थे ,
मोदी को तुम ललकार रहे थे ,,
बिगड़ी को जिसने सुलझाया ,
कालेधन आशा को दिखलाया,,
भारत का अब सुधारेगें हाल ,
मोदी जी जिहज……….. 5
केजरी की काया डर ले उठी ,
कालेधन का भाषण कह झूठी,,
आया दिल्ली का सेवक केजरी,
देख मोदीजी को आग भरी ,,
रणदेव जैसो के खुशियो के गाल ,
मोदी जी जिहुआ…………6
तुम गरीबो के दिन के रक्षक हो,
तुम खाओ जो इनके भक्षक हो,,
ऐसा पाठ-पढ़ाओ स्वदेश लाओ ,
तुम नायक स्वदेशी गीत गवाओ,,
भारत रूप-रेखा के सुधारो हाल ,
मोदी जी जिहुआ………… 7
रणजीत सिंह “रणदेव” चारण
मुण्डकोशियां
7300174627