मोदी-जिनपिंग वार्ता!! एक काल्पनिक आधार!?
हाल के घटनाक्रम से,
मोदी जी को आघात लगा,
जब से चीन ने, सीमाओं पर अतिक्रमण किया,
तब मोदी जी ने, जिनपिंग से कहा,
भाई मेरे तू ये बता,क्या है मेरी खता,
जो आज कल तू मुझे, है सता रहा।
जिनपिंग ने भी मुस्कुराकर देखा,
और बिना कुछ कहे ही,प्रश्नवाचक निगाहों से,
मोदी जी से ही पुंछ लिया,
क्यों क्या हुआ, और फिर मुस्कुरा कर,
अनन्त में देखने लगा।
अब मोदी जी से न रहा गया,
उन्होंने शिकायती लहजे में कहा,
अरे भाई कुछ तो बता,
सीमाओं पर सैनिकों को,क्यों नहीं कुछ कह रहा,
जब बात हुई है पीछे हटने की,
फिर बार बार कहने पर भी,क्यों नहीं पीछे हट रहा।
जिनपिंग ने अब भी कुछ नहीं कहा,
बस शुन्य में ही, शुन्य को देखता रहा,
तब मोदी जी ने फिर कहा,
यार मेरे, कुछ तो बता,
क्या कारण है,क्यों है मौन धारण किया।
जिनपिंग ने तब भी कुछ नहीं कहा,
किन्तु इस बार, मोदी जी को घूर कर देखने लगा,
तब मोदी जी ने ही कहा,
मैंने तुम्हें झूला तक झूला दिया,
तेरी हर खफा को, अनदेखा किया,
अरे मेरी मजबूरी समझ,
क्यों है चुप्पी भरा पड़ा।
जिनपिंग ने फिर भी कुछ नहीं कहा,
बस मोदी जी को ही निहारता रहा,
और मौन रहकर,प्रश्नभरी नजरों से,
मोदी से ही पुछने लगा,
जो भी कहना है,साफ-साफ कह,
यूं पहेलियां क्यों बूझा रहा।
अब मोदी जी से न रहा गया,
उन्होंने भी बेझिझक कहना शुरू किया,
मेरी सीमाओं के भीतर,
अपने सैनिकों को क्यों भेज रहा,
देख मैंने आज तक, आज तक सब कुछ सहा,
तूने वन बैल्ट रोड बनायी, मैंने अनदेखा किया,
तूने पाकिस्तान को उकसाया, मैंने तब भी ध्यान नहीं दिया,
हमने पाकिस्तान को, संयुक्त राष्ट्र में उठाया,
तुने वहां पर भी उसे बचाया, मैंने गौर नहीं फरमाया,
हमने पड़ोसियों से मित्रता का हाथ बढ़ाया,
तूने उनको भी भरमाया, मैंने इसको भी सह आगे कदम बढ़ाया,
कोरोना पर जब सब राष्ट्रों ने,तेरे खिलाफ शोर मचाया,
मैंने तब भी,मौन धारण कर,तेरा साथ निभाया,
अब तू मेरे देश में घुस आया।
देख मैंने कटु आलोचनाओं को सहा,
फिर भी यही कहा, कोई भी अपनी सीमाओं में नहीं घुसा,
यह करके मैंने तुम्हें ढांढस बंधाया,
लेकिन तूने मेरे सैनिक मरवा डाले,
निहत्थे सैनिकों पर डन्डे बरसाये,
कितनी बार तुम्हें पीछे हटने को कहा है,
हां करके फिर मुकर गया है,
क्या है तेरे मन में बतला दे,
मेरी भी सहन करने की एक हद है,
अब भी कुछ नहीं बिगड़ा है,
पीछे हट जा, ये मोदी कह रहा है,
तू मिलों तक अंदर घुस बैठा है,
और मैंने यह कह रखा है,
तू एक इंच भी नहीं घुसा है,
तो अब मैं झूठा नहीं पड़ सकता हूं,
पीछे हट जा ये मैं कहता हूं,
जो ना माना तूने अब भी,
सनक उठ सकती है, मेरी कब भी,
तब मैं आगे पीछे नहीं देखूंगा,
खुद डूबा तो तूझको भी ले डूबूंगा,
मेरा क्या है, खाली हाथ आया था,
खाली हाथ निकल जाऊंगा,
पर तूझको भी किसी लायक नहीं मैं छोड़ जाऊंगा।