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27 Dec 2016 · 1 min read

मोती बनते ओस के , जब रोती है रात

मोती बनते ओस के , जब रोती है रात
पी लेता सूरज उन्हें , समझ एक सौगात
समझ एक सौगात,करे व्याकुल गर्मी से
संध्या में ही पेश, जरा आता नर्मी से
सुबह अर्चना रोज , धूप के दाने बोती
तभी बिखेरे रात ,ओस के देखो मोती

डॉ अर्चना गुप्ता

1 Comment · 339 Views
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