मोती बनते ओस के , जब रोती है रात
मोती बनते ओस के , जब रोती है रात
पी लेता सूरज उन्हें , समझ एक सौगात
समझ एक सौगात,करे व्याकुल गर्मी से
संध्या में ही पेश, जरा आता नर्मी से
सुबह अर्चना रोज , धूप के दाने बोती
तभी बिखेरे रात ,ओस के देखो मोती
डॉ अर्चना गुप्ता