मोक्ष और बंधन
वासनाओं का त्याग मोक्ष है, कामनाएं बंधन है
वासनाओं से मुक्ति, जीवन में मोक्ष का कारण है
कामनाओं की चाहत ही,जीते मरते बंधन बनती है
ज्ञानेंद्रियों को वासनाएं, सदा आकर्षित करती हैं
कर्मेंद्रियां वासनाओं की, लालसा पूरी करती हैं
ज्ञानेंद्रियां जानने योग्य, तत्व पर नहीं टिकतीं हैं
सद ज्ञान और ब्रह्म तत्व पर, ध्यान नहीं देती हैं
मोक्ष और बंधन के कारण को, ध्यान नहीं रखतीं हैं
जो संसार में नश्वर है, उसको ही सत्य समझती हैं
परम सत्य है तीन काल में, उसको झूठ समझती हैं
मोक्ष चाहिए जीते जी, तो वासनाओं को रोको
ज्ञानेंद्रियां और कर्मेंद्रियों में, परम तत्व को रोपो
सुरेश कुमार चतुर्वेदी