मॉबाइल दैत्य
******* मॉबाइल दैत्य*******
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मॉबाइल दैत्य से किनारा कीजिए
थकी आँखें जरा सहारा कीजिए
दूर होते जा रहें हैं सभी रिश्ते
वार्तालाप से कम दुरियाँ कीजिए
जो हैं दूर वो तो हैं समीप हुए
संग बैठों को तो गवारा कीजिए
जिंदगी खुद तक है सिमट सी गई
बाहर क्या है, जरा झांका कीजिए
प्रकृति बहुत सुंदर और मनोरम है
प्रकृति रम्यता का नजारा लीजिए
अति हर चीज की होती घातक है
संप्रेषण यंत्रों का किनारा कीजिए
आँखें हैं अनिद्रित सी फूली हुई
सुंदर नैनों का जरा ध्यान कीजिए
सुखविंद्र खुद मॉबाइल का आदी है
समयानुसार निज में सुधार कीजिए
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)