Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Mar 2023 · 1 min read

मॉं करके शेर सवारी, हर दो जग के दुख भारी (भक्ति गीत)

मॉं करके शेर सवारी, हर दो जग के दुख भारी (भक्ति गीत)
➖➖➖➖➖➖➖➖
मॉं करके शेर सवारी, हर दो जग के दुख भारी
1
तुमको पर्वत पर पाते, मंदिर ऊॅंचा पाया है
श्रद्धा से चल दुर्गम पथ, दर्शन करने आया है
यात्रा के दुख सब भूला, मॉं की छवि जहॉं निहारी
2
बलशाली चक्र सुदर्शन, लेकर कटार फिर आओ
अपने त्रिशूल को देवी, असुरों पर पुनः चलाओ
दुष्टों से सब पीड़ित हैं, सज्जन नर-सज्जन नारी
3
हाथों में सदा गदा है, हाथों में धनुष उठाए
तुम वीर-वृत्ति को दिल में, माता हो सदा समाए
ताकत है सत्य तुम्हारी, जन-जन मंगल हितकारी
4
बूढ़ा हो बाल-युवा हो, सबको ही दिया सहारा
तुम वृक्ष अलौकिक वह हो, फल से जो कभी न हारा
मिलती जिसको तुम मॉं हो, उसकी सब दशा सॅंवारी
मॉं करके शेर सवारी, हर दो जग के दुख भारी
—————————————
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

489 Views
Books from Ravi Prakash
View all

You may also like these posts

चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी कई मायनों में खास होती है।
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी कई मायनों में खास होती है।
Shashi kala vyas
बिछड़ा हो खुद से
बिछड़ा हो खुद से
Dr fauzia Naseem shad
** पर्व दिवाली **
** पर्व दिवाली **
surenderpal vaidya
जीवन में रहता नहीं,जिसके जोश उमंग
जीवन में रहता नहीं,जिसके जोश उमंग
RAMESH SHARMA
श्रद्धा और विश्वास: समझने के सरल तरीके। रविकेश झा।
श्रद्धा और विश्वास: समझने के सरल तरीके। रविकेश झा।
Ravikesh Jha
कहां गई वो दीवाली और श्रीलक्ष्मी पूजन
कहां गई वो दीवाली और श्रीलक्ष्मी पूजन
Suryakant Dwivedi
*श्री देवेंद्र कुमार रस्तोगी के न रहने से आर्य समाज का एक स्
*श्री देवेंद्र कुमार रस्तोगी के न रहने से आर्य समाज का एक स्
Ravi Prakash
2813. *पूर्णिका*
2813. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जिसने अपने जीवन में दर्द नहीं झेले उसने अपने जीवन में सुख भी
जिसने अपने जीवन में दर्द नहीं झेले उसने अपने जीवन में सुख भी
Rj Anand Prajapati
रिश्तों का खेल
रिश्तों का खेल
पूर्वार्थ
स्टेटस
स्टेटस
Dr. Pradeep Kumar Sharma
वो बस सपने दिखाए जा रहे हैं।
वो बस सपने दिखाए जा रहे हैं।
सत्य कुमार प्रेमी
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
फिर आई बरसात फिर,
फिर आई बरसात फिर,
sushil sarna
जब अपने सामने आते हैं तो
जब अपने सामने आते हैं तो
Harminder Kaur
" जमाना "
Dr. Kishan tandon kranti
#ज़मीनी_सच
#ज़मीनी_सच
*प्रणय*
ना समझ आया
ना समझ आया
Dinesh Kumar Gangwar
बाल कविता: नानी की बिल्ली
बाल कविता: नानी की बिल्ली
Rajesh Kumar Arjun
****** मन का मीत  ******
****** मन का मीत ******
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खाने पीने का ध्यान नहीं _ फिर भी कहते बीमार हुए।
खाने पीने का ध्यान नहीं _ फिर भी कहते बीमार हुए।
Rajesh vyas
तीर नजर के पार गईल
तीर नजर के पार गईल
Nitu Sah
आजाद पंछी
आजाद पंछी
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
एक सत्य यह भी
एक सत्य यह भी
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
मैं कभी किसी के इश्क़ में गिरफ़्तार नहीं हो सकता
मैं कभी किसी के इश्क़ में गिरफ़्तार नहीं हो सकता
Manoj Mahato
एक सच और सोच
एक सच और सोच
Neeraj Agarwal
गोरे तन पर गर्व न करियो (भजन)
गोरे तन पर गर्व न करियो (भजन)
Khaimsingh Saini
रमेशराज के चर्चित राष्ट्रीय बालगीत
रमेशराज के चर्चित राष्ट्रीय बालगीत
कवि रमेशराज
- मन की अभिलाषा -
- मन की अभिलाषा -
bharat gehlot
इन आंखों से इंतज़ार भी अब,
इन आंखों से इंतज़ार भी अब,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
Loading...