मै सोचती हुं…
मै सोचती हुं… गर किसी दिन
आसमान के घने बृक्ष पे फूल लगे
और पेड़ों की टहनियों पे चांद सितारे उगे
और तुम अचानक सपने से निकल कर सामने आ जाओ
और अपने कांपते होठों को रख दो मेरे गर्म और कुमलाए होठों पे
ताकि उस के प्रतिफल में होठों पे जो चिकनी मलाईदार चीज उपजे
उस में खिल सके हमारे तुम्हारे होठों पे ही प्रेम पुष्प
और धमनियों में घुल के रक्त सा बहता रहे… सदियों तक
~ सिद्धार्थ