मै भूला दूं तुझे
मै भूला दूं तुझे बोलो कैसे पिया,
मेरे तन -मन मे तु है समाया हुआ।
क्या देखा कभी चांद की दुश्मनी रोशनी को अकेले मे रोते हुए,
क्या किरणों को देखा कभी आपने सूरज से तन्हा होते हुए,
फिर अपराध कोई क्या हमने किया,
मै भूला दूं तुझे बोलो कैसे पिया
मै भूला दूं……..
तुम कहो तो भुला दूं ये संसार मै छोटा सा आंगना बाबुल का प्यार मै,
इसी घूंघट मे हस लूंगी रो लूंगी मै भूलूंगी नहीं तेरा उपकार मै,
पूरा जिवन हीं तुझको अर्पण किया,
मै भूला दूं तुझे बोलो कैसे पिया,
मै भूला दूं….
सात फेरों के संग सात वचनें बंधी तु मेरा बना मै तेरी बनी,
पुष्प मंत्रों से अग्नि सुशोभित हुई लोग कहने लगे तेरी अर्धांगिनी,
है भगवन् ने खुद तुमको मुझको दिया,
मै भूला दूं तुझे बोलो कैसे पिया,
मै भूला दूं……
तेरे बिना मै बिखर जाऊगी दुनिया के तानों से मर जाऊगी ,
तु रिश्तों को सारे भले तोड़ दे मै तेरे बिना कैसे घर जाऊंगी,
तेरे रिश्तों ने मुझको पावन किया,
मै भुला दूं तुझे बोलो कैसे पिया
कवि अभिषेक पाण्डेय