Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Aug 2019 · 1 min read

मै पन्द्रह अगस्त स्वतन्त्रता दिवस हूँ —आर के रस्तोगी

मैं पन्द्रह अगस्त स्वतन्त्रता दिवस हूँ
दिल्ली के लाल किले से बोल रहा हूँ

कहने को मैं स्वतन्त्र हो गया हूँ
पर भुखमरी और भ्रष्टाचार से जकड़ा हुआ हूँ
जन जन और कण कण को पकड़ा हुआ हूँ
यहाँ दिन रात महिलाओ का बलात्कार होता है
जिसको देख कर मैं सुबक सुबक कर रोता हूँ
मै रोते रोते तुम्हे ये बोल रहा हूँ
मैं पन्द्रह अगस्त स्वतन्त्रता दिवस हूँ
दिल्ली के लाल किले से बोल रहा हूँ

यहाँ रिश्वत का बाज़ार बहुत गर्म है
इसके लेने देने में कोई नहीं शर्म है
जिसको यह नहीं मिल पाती है
इमानदारी का ढिंढोरा वह पिटता है
पहली बार किराये के लाल किले की
तस्वीर तुम्हारे सामने पेश कर रहा हूँ
जिस पर चढ़ कर मोदी जी भाषण दे रहे है
इसी बात को देखकर मै रो रहा हूँ
मैं पन्द्रह अगस्त स्वतन्त्रता दिवस हूँ
दिल्ली के लाल किले से बोल रहा हूँ

आर के रस्तोगी

Language: Hindi
171 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ram Krishan Rastogi
View all
You may also like:
दुनियादारी....
दुनियादारी....
Abhijeet
मतदान
मतदान
Sanjay ' शून्य'
अहोभाग्य
अहोभाग्य
DR ARUN KUMAR SHASTRI
यूं ना कर बर्बाद पानी को
यूं ना कर बर्बाद पानी को
Ranjeet kumar patre
सुकुमारी जो है जनकदुलारी है
सुकुमारी जो है जनकदुलारी है
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
2607.पूर्णिका
2607.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
"एक शोर है"
Lohit Tamta
लोकतंत्र तभी तक जिंदा है जब तक आम जनता की आवाज़ जिंदा है जिस
लोकतंत्र तभी तक जिंदा है जब तक आम जनता की आवाज़ जिंदा है जिस
Rj Anand Prajapati
वह तोड़ती पत्थर / ©मुसाफ़िर बैठा
वह तोड़ती पत्थर / ©मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
मेरी फितरत
मेरी फितरत
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
अयाग हूँ मैं
अयाग हूँ मैं
Mamta Rani
Legal Quote
Legal Quote
GOVIND UIKEY
जीवन के अंतिम पड़ाव पर लोककवि रामचरन गुप्त द्वारा लिखी गयीं लघुकथाएं
जीवन के अंतिम पड़ाव पर लोककवि रामचरन गुप्त द्वारा लिखी गयीं लघुकथाएं
कवि रमेशराज
क्रिकेट
क्रिकेट
World Cup-2023 Top story (विश्वकप-2023, भारत)
औरत अश्क की झीलों से हरी रहती है
औरत अश्क की झीलों से हरी रहती है
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
सच और झूठ
सच और झूठ
Neeraj Agarwal
*** तस्वीर....! ***
*** तस्वीर....! ***
VEDANTA PATEL
* वक्त  ही वक्त  तन में रक्त था *
* वक्त ही वक्त तन में रक्त था *
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
भूल गए हम वो दिन , खुशियाँ साथ मानते थे !
भूल गए हम वो दिन , खुशियाँ साथ मानते थे !
DrLakshman Jha Parimal
इंसान भी तेरा है
इंसान भी तेरा है
Dr fauzia Naseem shad
Peace peace
Peace peace
Poonam Sharma
VISHAL
VISHAL
Vishal Prajapati
बच्चे पढ़े-लिखे आज के , माँग रहे रोजगार ।
बच्चे पढ़े-लिखे आज के , माँग रहे रोजगार ।
Anil chobisa
■ संवेदनशील मन अतीत को कभी विस्मृत नहीं करता। उसमें और व्याव
■ संवेदनशील मन अतीत को कभी विस्मृत नहीं करता। उसमें और व्याव
*Author प्रणय प्रभात*
"जीना"
Dr. Kishan tandon kranti
धूम मची चहुँ ओर है, होली का हुड़दंग ।
धूम मची चहुँ ओर है, होली का हुड़दंग ।
Arvind trivedi
बड़बोले बढ़-बढ़ कहें, झूठी-सच्ची बात।
बड़बोले बढ़-बढ़ कहें, झूठी-सच्ची बात।
डॉ.सीमा अग्रवाल
भीतर का तूफान
भीतर का तूफान
Sandeep Pande
*णमोकार मंत्र (बाल कविता)*
*णमोकार मंत्र (बाल कविता)*
Ravi Prakash
ईगो का विचार ही नहीं
ईगो का विचार ही नहीं
शेखर सिंह
Loading...