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18 Mar 2017 · 1 min read

मै तो एक एतवार था ।

मै एक एतवार था
अन्य दिनो के गले का हार था
बच्चे जिसका करते थे इंतजार
मै वो हफ्ते का त्यौहार था
मै एक एतवार था।

कि जब मै था
नींदे जल्दी खुला करती थी
और फिर बिस्तर पर ही
भैया संग कुश्ती हुआ करती थी
सूरज भी होता था जिस दिन
कल से थोड़ा ज्यादा पीला
मै वो एतवार था।

अम्मा डालकर धनिया
मूंग के पकौड़े तला करती थी
पापा के संग बरामदे मे
बैडमिंटन मे जोड़ी जमा करती थी
धरती आसमान का सुख
मेरी झोली मे होता था जिस दिन
मै वो एतवार था ।

नींद आज खुलती देर से
जल्दी जल्दी फ्रेस हो लेता हूँ
मम्मी थोड़ा काम बाकी है
आकर खाना खाता हूँ
भागदौड़ ने बना दिया है
रविवार जैसा मुझको अब
मै तो एतवार था ।

© सत्येंद्र कुमार
satya8794@gmail.com

Language: Hindi
311 Views
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