मै तुम और हम
तुम बिन मैं नहीं
मैं बिन तुम नहीं
मैं तुम से हम हैं
हम से मैं तुम हैं
जब मैं तुम हम
फिर क्यों है गम
हम सी से है दम
ना किसी से कम
हम रहें संग संग
जीवन में सबरंग
नहीं होंगें मैं तुम
रहेंगे बस यूँ हम
नहीं करें तकरार
आपार प्रेम प्यार
जीवन है संक्षिप्त
मैं तुम हम तृप्त
देखो खूब स्वप्न
हों पूरे रहो मग्न
प्रीत की हो लग्न
ना हो पर जलन
जीने की यह राह
नहीं होंगें गुमराह
पूरे हों सभी चाव
ना हो मन मुटाव
हम जो हों मैं तुम
हो जाएंगे हम गुम
सुनो प्रेम की धुन
साथ रहो तन मन
ना हो वाद विवाद
मधुरिम हो संवाद
यही है जीवन रंग
प्रेमिल उमंग तरंग
सदा ही रहेंगे हम
मैं तुम हरदम क्षण
सुखविंद्र सिंह मनसीरत