मै जिसके लिए अहम था ——– गीत/ गजल
मै जिसके लिए अहम था,मन में उसके वहम था ।
निभाया मैंने अपना धरम,उसका और ही करम था।।
बोला,
क्यो सच्चाई पे चलते हो,जैसा मै क्यों नहीं ढलते हो।
मिलेगा नहीं कुछ तुमको,करता मै तो पैसा हजम था।।
सुनकर बातें उसकी हंसी मुझे आई,अपनी मैंने सुनाई।
सच ही जीतता अंत में, सुनकर थोड़ा हुआ नरम था।।
आदत तो आदत होती,छोड़ कहां पाया था वह।
नाता मुझसे तोड़ बैठा वह,लिया मैंने भी नया जनम था।।
ढूंढ रहा हूं जमाने में कोई तो मिलेगा सच्चा राही मुझे।
चल पढूंगा साथ उसी के, जो की मेरे लिए अहम था।।
राजेश व्यास अनुनय