मैली कमीज
मेरा सफेद कमीज
फिर गर्द से भर गया
अभी सुबह सुबह ही तो बदला था इसे
बिल्कुल नया सा लग रहा था
पहले से भी साफ और उजला
पर ये क्या हुआ
अभी कुछ समय ही बीता है
इसमें फिर से दाग पड गये
सलवटें भी यहां पुनः उभर आयी वही
पहले सी और कुछ नयी भी
ये कमीज भी अजीब सी है
बिल्कुल जिन्दगी की तरह
सुबह में कुछ दोपहर में कुछ
नित्य नयी नयी सी लगती है
साफ सुथरी और एकदम चकाचक
समय बीतते ही थोड़ा
ये भी हो जाती है
मैली कुचली
बीती जिन्दगी सी
दागदार कमीज में लिपटी देह और
जिन्दगी लिए कहां जांऊ
किसे दिखलांऊ
यहां तो सबके कमीज
पहले से ही गेंदे है
अब आगे चलना होगा और जीना होगा योंही
क्या इसी मैली सी कमीज में?
जो अभी भी कुछ सफेद है
और दाग से भरी भी।
मनोज शर्मा