मैरी प्यारी भावी
मैरी प्यारी भावी
सामने सबके जो टाँग खींचती हैं,
उसके पास होने पर जो प्यार सींचती हैं,|
जाना हो कहीं पर तो हाँथ खींचती हैं,
नहीं जाऊं मैं तो बात खींचती हैं,|
मैरे साथ रहकर खूँब बहार लूँटती हैं,
सभी खुश होते हैं,जब बो मैरे साथ छूँटती हैं,|
मैं आऊ जब घर पर तो हाल पूँछती हैं,
खाना लगा दूँ तुम्हें ये तत्काल पूँछती हैं,|
क्या हाल हैं तुम्हारा और हाल चाल पूँछती हैं,
खुश होते हैं हम जब वो समय के बबाल पूँछती हैं,|
मैं घर से जाता हूँ ,तो तत्काल पूँछती हैं,
जाओ नहीं तुम आज और कई सबाल पूँछती हैं,|
रिसता हैं हम दोंनो का अनमोल इसके कई कमाल पूँछती हैं,
रहेगें हम लोगों के दिल में आबाद ये हाल पूँछती हैं,|
बो भावी हैं,मैरी कई सबाल पूँछती हैं,
जब खुश होता हूँ मैं वो आँचल का दुलार फेरती हैं,|
रिसता होता ही हैं,मींठा और वो मिंठास घौलती हैं,
वो भावी हैं मैंरी रिसतों का एहसास घौलती हैं,||
लेखक ——Jayvind singh