मैया नवरात्रि में मुझपर कृपा करना
मन में मेरे है संताप, आंखों में अश्रुधार भरी है।
हृदय में है वेदना, जिंदगी भी हताश पड़ी है।।
मुस्कुराना चाहती हूं, मगर कैसे मैं मुस्कुराऊ मां।
पीड़ा के भंवरजाल में, नैया खुशी की मेरी फंसी है।।
फूट फूट कर रो रही, अंदर की मेरी आत्मा मां।
छलिया ये समाज, खेल रहा हृदय से मेरे है।।
तेरे दर्शन को बेचैन हूं, कैसे मैं तेरे दर्शन पाऊं मां।
नवदुर्गा नवरात्रि का, मां आया तेरा त्यौहार है।।
हो रहे बड़े आयोजन, हर घर में तेरी ज्योत जली है।
मैंने भी घटस्थापना कर, लगाया है नया पंडाल मां।।
पूजा की थाल सजा, मां हवन कीर्तन करवाया है।
भक्ती में तेरी डूबकर, भुलाया है ये सारा संसार मां।।
रोशन ये जीवन करना, बरसाना कृपा मुझपर अपनी मां।
ममता की छांव में, लपेटना अपने इस भक्त को मां।।
तेरे हरेक रूप की है, एक अनोखी महिमा मां।
तेरे द्वार में जो जाता मां, वो खाली हाथ ना लौटता है।।
प्रार्थना में मस्तक झुका, तेरे दर खड़ी हूं मैं शेरोंवाली।
तेरी गरिमा बड़ी है, सोई मेरी किस्मत जगाना मां।।
सर पर मेरे हाथ रखकर, अपना आशीर्वाद देना मां।
विनती मेरी स्वीकार कर, अपने चरणों में स्थान देना मां।।
अभिलाषी मेरे नैनों की, प्यास को बुझाना मां।
इस नवरात्रि त्यौहार पर, तू मेरे घर भी आना मां।
– सुमन मीना (अदिति)