मैया तेरा अंगना सुहाना।
प्रतियोगिता हेतु।
” मैया तेरा अंगना सुहाना ”
किचन में काम करते फोन की घंटी ने ममता का ध्यान मायके की तरफ कर दिया। मन तो कर रहा था भाग कर फोन उठा लूं……पर ये ससुराल है मायके नहीं, मन में ही सोचकर किचन का काम निपटाने में लग गई।
बाहर से आते हुए सासु मां ने कहा… ममता बेटा फोन बज रहा है देख लो जरूरी काॅल न हो। जी, जाकर देखा तो सच में मम्मी का फोन था। धीरे से बोली मम्मी बाद में करती हूं, किचन में काम कर रही हूं। सासु मां मुस्कुराते हुए बोली, ममता अगर मन है तो मिल आओ वैसे भी कितने दिन हो गए हैं मायके नहीं गई हो।
आंखों में आंसू आ गए और सासु मां के ज़ोर से गले लग गई, झिझकते हुए बोली मम्मी जी आपको भी मेरी मम्मी की तरह…मेरे मन की बात कैसे पता चल गई, कि मैं मायके जाना चाहती थी?? पर पूछने से डर रही थी। सासु मां ने सिर पर हाथ फेरा और कहा बेटा जब वो आंगन छोड़ तुम इस आंगन में आ गई और मैं भी तेरी मम्मी बन गई। ममता हंस रही थी उसे समझ नहीं आ रहा था उसे दोनों आंगन अपने से लगने रहे थे।
कामनी गुप्ता***
जम्मू !