Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Mar 2022 · 1 min read

मैथिल मुसलमान नहीं सीख पाये बंगाल के मुसलमान से मातृभाषा प्रेम

—–
उर्दू के बाद भारत में मैथिली ही दूसरी ऐसी भाषा है जिसमें मर्सिया लिखा गया। ग्रियर्सन के अनुसार 19वीं सदी तक मुस्लिम समुदाय मैथिली में मर्सिया गाते थे। आजादी के साथ उनपर भी धर्म के नाम पर उर्दू थोप दिया गया, वहीं संस्‍कृत को ब्राहमणों की भाषा बना दिया गया। 20वीं शताब्‍दी तक मिथिला के हिंदू भी उर्दू लिखना-पढना जानते थे, लेकिन भाषा के धर्म से जुड जाने के बाद यह रिश्‍ता टूट गया। एक ओर जहां क्षेत्र की भाषाई पहचान मिट गयी, वही भाषा की सर्वस्‍वीकारोक्ति भी खत्‍म हो गयी। अरब के सैनिकों के लिए इजात की गयी भाषा भारतीय मुसलमानों की भाषा हो गयी। भारतीय मुसलमान इसलिए क्‍योंकि बांग्‍लादेश के मुसलमानों ने उर्दू को मातृभाषा या अपनी भाषा मानने से इनकार कर दिया। उर्दू की खिलाफत के कारण मुस्लिमों की जान चली गयी। पूरा विश्‍व उस दिन को मातृभाषा दिवस के रूप में मनाता हैं। निश्चित रूप से बिहार सौ साल पहले बंगाल का अंग रहा है। हम भाषा को धर्म और जाति में डाल कर उसका दायरा सिमटा रहे हैं। भाषा को बेमौत मार रहे हैं। पता नहीं कौन सा मर्सिया गा रहे हैं। अगर बंगाल के मुसलमान की तरह मैथिल मुसलमान अपनी मातृभाषा से प्रेम करते तो आज मैथिली की यह दुर्गति नहीं होती. मैथिल मुसलमानों ने उर्दू के लिए अपनी मातृभाषा को वैसे ही छोड़ दिया, जैसे हिंदी के लिए हिंदूओं ने अपनी मातृभाषा छोड़ दी.

साभार-कुंदन जी

Language: Hindi
225 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

हमारा ये जीवन भी एक अथाह समंदर है,
हमारा ये जीवन भी एक अथाह समंदर है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
Red is red
Red is red
Dr. Vaishali Verma
सच तो कुछ नहीं है
सच तो कुछ नहीं है
Neeraj Agarwal
ये जो मुझे अच्छा कहते है, तभी तक कहते है,
ये जो मुझे अच्छा कहते है, तभी तक कहते है,
ओसमणी साहू 'ओश'
*
*"माँ कात्यायनी'*
Shashi kala vyas
*हम हैं दुबले सींक-सलाई, ताकतवर सरकार है (हिंदी गजल)*
*हम हैं दुबले सींक-सलाई, ताकतवर सरकार है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
DR ARUN KUMAR SHASTRI
DR ARUN KUMAR SHASTRI
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मन का कारागार
मन का कारागार
Pooja Singh
आपने खो दिया अगर खुद को
आपने खो दिया अगर खुद को
Dr fauzia Naseem shad
समझौता
समझौता
Shyam Sundar Subramanian
जो पहले ही कदमो में लडखडा जाये
जो पहले ही कदमो में लडखडा जाये
Swami Ganganiya
भावक की नीयत भी किसी रचना को छोटी बड़ी तो करती ही है, कविता
भावक की नीयत भी किसी रचना को छोटी बड़ी तो करती ही है, कविता
Dr MusafiR BaithA
अगर ठोकर लगे तो क्या, संभलना है तुझे
अगर ठोकर लगे तो क्या, संभलना है तुझे
Dr Archana Gupta
मेहनत कड़ी थकान न लाती, लाती है सन्तोष
मेहनत कड़ी थकान न लाती, लाती है सन्तोष
महेश चन्द्र त्रिपाठी
जो कभी था अहम, वो अदब अब कहाँ है,
जो कभी था अहम, वो अदब अब कहाँ है,
पूर्वार्थ
((((((  (धूप ठंढी मे मुझे बहुत पसंद है))))))))
(((((( (धूप ठंढी मे मुझे बहुत पसंद है))))))))
Rituraj shivem verma
✍️ रागी के दोहे ✍️
✍️ रागी के दोहे ✍️
राधेश्याम "रागी"
"गुलाम है आधी आबादी"
Dr. Kishan tandon kranti
तीन मुक्तकों से संरचित रमेशराज की एक तेवरी
तीन मुक्तकों से संरचित रमेशराज की एक तेवरी
कवि रमेशराज
दीपावली
दीपावली
surenderpal vaidya
इज़ाजत लेकर जो दिल में आए
इज़ाजत लेकर जो दिल में आए
शेखर सिंह
मुस्कुराओ तो सही
मुस्कुराओ तो सही
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
जाने कौन
जाने कौन
विजय कुमार नामदेव
कमी
कमी
Otteri Selvakumar
कभी हमारे शहर आओ तो मिल लिया करो
कभी हमारे शहर आओ तो मिल लिया करो
PRATIK JANGID
गुलशन की पहचान गुलज़ार से होती है,
गुलशन की पहचान गुलज़ार से होती है,
Rajesh Kumar Arjun
3909.💐 *पूर्णिका* 💐
3909.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
ये दिल यादों का दलदल है
ये दिल यादों का दलदल है
Atul "Krishn"
आब त रावणक राज्य अछि  सबतरि ! गाम मे ,समाज मे ,देशक कोन - को
आब त रावणक राज्य अछि सबतरि ! गाम मे ,समाज मे ,देशक कोन - को
DrLakshman Jha Parimal
शिक्षक दिवस
शिक्षक दिवस
Tarun Singh Pawar
Loading...