मैं
ज़िन्दगी के इन ताने-बानों में उलझती जा रही हूं,
सब समेटने की चाह में मैं ख़ुद बिखरती जा रही हूं।
दम तक तोड़ने वाली चुनौतियां मिली हैं कई दफ़ा,
हालातों से लड़कर, मैं जीना सीखती जा रही हूं।
मेरी हंसी देख लगता है उन्हें, मैं टूटी हीं नहीं कभी,
कैसे यकीं दिलाऊं मैं टुकड़ों में बंटती जा रही हूं।
कोशिश तो तुमने भी अच्छी की तोड़ने की मुझे,
पर देखो, यारा! मैं फिर भी मुस्कुराती जा रही हूं।
क्या बताऊं मैं किस क़दर उसकी यादों में जलती हूं,
पर अपनी हंसी से मैं लोगों को जलाती जा रही हूं।
पढ़े और सुने तो थे,’जूही’, दोस्ती के तराने कई,
सिला देख, अपने याराने की त्रिज्या घटाती जा रही हूं। ।
-©®Shikha