मैं..
मैं..
मैं सही तुम ग़लत
ज़िंदगी हार गए इस होड़ में फ़क़त
मैं बेहतर तू कम
कब टूटेगा तेरा ये भ्रम
मैं बड़ा तुम छोटे
सोच के ये सिक्के खोटे
मैं अमीर तू ग़रीब
ये तो है बस नसीब
मैं अच्छा तुम बुरे
रह जाओगे आधे-अधूरे
मैं सुंदर तू कुरूप
जीवन नहीं इसके अनुरूप
मैं सबसे अहम
कब तक रखोगे यह वहम