मैं हूं तुम्हारें आसपास(नब बर्ष ग्रीटिंग)
तुम सोई होगीं,मीठे सपनों में खोई होगीं।
उतरेंगी आसमां से नये बर्ष की किरणें,
और चूम लेगीं तुम्हारें गालों को।
पाकर गर्माहट, तुम घबरा कर।
जाओगी आइने के पास।
देखोगी नये बर्ष की सुर्ख लाली अपने गालों पर।
तब शरमाकर रख लोगी चेहरे पर दोनो हाथ।
तब तुम्हें होगा एहसास, मैं हूं तुम्हारें आसपास।।
जब कभी आयेगी शामे तन्हाई
अपने दामन में समेटे यादों को।
जाओगी सागर के पास।
तुम्हें खामोश उदास देखकर,आयेगा हवा का झोका।
और बिखेर जायेगा तुम्हारी जुल्फों को गालों पर।
तब खेल जायेगी मुस्कान अधरों पर।
और उगलियां आ जायेगी शरारत में।
लिख देगी ” अनीश ” यादों के रेगिस्तान में।
तब तुम्हें होगा एहसास,
मैं हूं तुम्हारें हर पल में रचाबसा ,
मैं हूं तुम्हारे आसपास।।