मैं हूँ ..
महिला दिवस की अनंत शुभकामनाएँ!
मैं हूँ …
मैं सीता नहीं जो दूँ अग्नि परीक्षा
मैं राधा नहीं जो विरह हो इच्छा
मैं मीरा नहीं जो विष पी जाऊँ
मैं द्रौपदी नहीं जो बाँट दी जाऊँ
मैं हूँ कर्दट माही कमलिनी
पवित्र ज्यूँ जल मंदाकिनी
पंच तत्व की पावन काया
कैसे राम को समझ न आया?
मैं हूँ पूर्ण समर्पित भामिनी
जनम मरण की संगिनी
चाहूँ तेरा भी सम्पूर्ण साथ
कैसे कृष्ण रहे अज्ञात?
मैं हूँ समान अधिकारिनी
कर्म धर्म सम भागिनी
नहीं ढूँढती तुममें ईश
कैसे मीरा पी गई विष?
मैं हूँ निज की स्वामिनी
चंचल चपला दामिनी
स्वाभिमान पर हो न आँच
कैसे द्रोपदी बटी पाँच?
कैसे तुलसीदास विचारी
नारी ताड़ना की अधिकारी
प्रश्न करते विस्मित विचलित
क्यूँ नारी रहे सदैव पीड़ित ?
रेखांकन।रेखा