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7 Jul 2018 · 1 min read

मैं हूँ माँ

मन के भाव ………

माँ
समाहित सकल ब्रम्हान्ड
साँसों की गति ,लय ,ताल
तू जीवन आधार |
ममत्व की असंख्य लहरें ,
आलोड़ित हों मुझमें ,
भरती हैं प्राण |
दशो दिशाओं में परिलक्षित ,
तेरा अनुराग |
तेरी ममता ,करुणा
तेरी ही ऊर्जा से,
जुड़े हैं सब
दैहिक ,दैविक ,भौतिक तार |
माँ
तेरी महिमा अपरम्पार |
तू है दर्पण
प्रतिबिंम्ब है सकल संसार |
मानव ,देव दानव
या पशु पक्षी का संसार ,
है तू ही सबका आधार |
संवेदना का पुण्य संसकार
धैर्य , निष्ठा , स्नेह की मन्दाकिनी
जग करता जिसमें स्नान |
पीढ़ियाँ बनाती ,पीढ़ियों को तारती |
तेरी ही रचना तू ही सब जानती |
जगती के कण कण में
रची बसी तू |
माँssss
अपार तेरी महिमा
शक्ति रूपा ,आधारभूता
जगत जननी |
तेरी आद्रता से नम
उर्वरित,पोषित ,पल्लवित
समाहित है मुझमें तेरा ही रूप |
तुझ से ही निर्मित
तेरे पद चिन्न्ह पर बढ़ाती पग
चल रही हूँ ,
उत्तरोत्तर बढ़ रहीं हूँ मैं
नतमस्तक हूँ
करूँ पदवन्दन
देखा तुझसे ही यह सुंदर संसार
भरी हृदय में ममता
बहती करुणा रस धार
हृदय बना विशाल
पाया मैने भी सौभाग्य
मैं भी हूँ माँ
हाँ !! माँsssssss
मैं भी हूँ एक माँ ssss
©मंजूषाश्रीवास्तव

Language: Hindi
418 Views
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