मैं हूँ ज़िंदा तुझे एहसास कराऊं कैसे
धङकनें मैं तेरे कानों को सुनाऊं कैसे
बंदिशें तोङ तेरे सामने आऊं कैसे
मुझको बेजान समझ दूर करे क्यों तन से
मैं हूँ ज़िंदा तुझे एहसास कराऊं कैसे
बाग़बाँ अनखिला हूँ फूल तेरे आँगन का
बिन खिले मैं तेरा गुलशन ये सजाऊं कैसे
सींच तालीम के जल से किरण हुनर की दिखा
बात इतनी सी भला तुझको सिखाऊं कैसे
जिस्म ‘मासूम’ का देखे करे क्यों शर्मिंदा
रूह छलनी तेरी आँखों को दिखाऊं कैसे
मोनिका ‘मासूम’