मैं स्वयं एक संसार हूँ!
ईश का , स्यम्भू का
उस ,सर्वशक्तिमान का
अंश हूँ, आकार हूँ,
मैं स्वयं एक संसार हूँ।
जीवन-धारा में प्रवाहित,
जीवन का संचार हूँ।
जगत मे जीता-जागता,
ब्रह्माण्ड का आधार हूँ
अंतर्मन की सीमा पर स्थापित
इच्छाओं का आकाश हूँ,
मैं आत्मविश्वास में लीन
मनुष्य का प्रकार हूँ।
ख़ुद की खोज में भटकता
‘दीप’ हूँ ,प्रकाश हूँ
आज मैं जो भी हूँ
बिगत कर्मों का प्रभाव हूँ
-जारी
©कुल’दीप’ मिश्रा