मैं सुहागन तेरे कारण
मैं सुहागन तेरे कारण
मैं सुहागन तेरे कारण
तेरे कारण ओ सजना
जो तू नहीं तो फिर
क्या ये बिंदी क्या कंगना
मैं सुहागन तेरे कारण
तेरे कारण ओ सजना
जब से तेरा साथ मिला
हाथों में है हाथ मिला
माँग मेरी सिंदूरी हुई
है तेरे रंग मुझे रंगना
मैं सुहागन तेरे कारण
तेरे कारण ओ सजना
मुझको तेरा नाम मिला
प्यार मुझे ईनाम मिला
प्रेम की नदिया बनकर मुझको
तेरे दिल में है बहना
मैं सुहागन तेरे कारण
तेरे कारण ओ सजना
ये सोलह श्रृंगार तुझी से
ये दिल भी बेकरार तुझी से
तुझ संग ही जीवन अमृत है
वरना फिर मुझको मरना
मैं सुहागन तेरे कारण
तेरे कारण ओ सजना
तुलसी मैं तेरे अँगना की
प्रीति मैं अपने सजना की
आशीष में तू मुझको है मिला
करती मैं रहूँगी तेरी वंदना
मैं सुहागन तेरे कारण
तेरे कारण ओ सजना
– आशीष कुमार
मोहनिया, कैमूर, बिहार