मैं सुर हूॅ॑ किसी गीत का पर साज तुम्ही हो
मैं शब्द हूॅ॑ मगर उसकी आवाज तुम्ही हो
मैं जिंदगी हूॅ॑ उसका कल और आज तुम्ही हो
मैं कुछ नहीं हूॅ॑ बिन तेरे स्वीकार है मुझे
मै सुर हूॅ॑ किसी गीत का पर साज तुम्ही हो
मैं शब्द हूं………..
ख्वाबों और ख्यालों में थी तस्वीरें भी देखी
पंहुचे हुए एक फकीर ने थी लकीरें भी देखी
लकीरें तुमसे जा मिली पर तस्वीर खो गई
तुम हीर, तुम लैला मेरी तुम ही मुमताज हो
मैं शब्द हूॅ॑………..
बिन तेरे कहीं दो कदम भी चल न पाऊॅ॑गा
गिर गया किसी मोड़ पर सम्भल न पाऊॅ॑गा
गुज़ारिश है मेरी वक्त से ना ये खेल खिलाए
मेरी जिंदगी तुमसे है इसका राज तुम्ही हो
मैं शब्द हूॅ॔………..
सातों जन्म निभाऊंगा मैं रस्में ये प्यार की
तुम से रोशन जिंदगी महके गुलजार सी
मिलती न अगर तुम तो मैं कुछ नहीं होता
‘V9द’ का हो फक्र तुम अंदाज तुम्ही हो
मैं शब्द हूॅ॑ ………..