मैं सिपाही
सरहदों को सुरक्षित रखता रहा!
खुद को यूंही समर्पित करता रहा!!
भेद नहीं आया जाति पंथ का!
सबको बस इन्सान समझता रहा!!
संभल जाओ अब भी न करो वैर!
एकता का पाठ ही सदा पड़ता रहा!!
आज मैं कल कोई मेरी जगह लेगा!
सिपाही बन देश की रक्षा करता रहा!!
मेरे भी सपने हैं, हैं घरवाले भी मेरे!
पर सर्वोपरि मातृभूमि को समझता रहा!!!
कामनी गुप्ता ***