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10 Nov 2020 · 1 min read

मैं समय हूं, चलना मेरा शगल

क्या चलना चाहते हो साथ-साथ
तो बन जाइए हमसफर मिलाइए हाथ
बस शर्त इतनी सी है मित्र
चलना ही है मेरा चरित्र
युग युग से चल रहा हूं
नित नव नूतन बदल रहा हूं
किसी भी परिस्थिति में बदलती नहीं है चाल
सुख-दुख की अनुभूतियों से परे
निरंतर है मेरी कदमताल
मैं समय हूं चलना मेरा शगल
निश्चित नियम नियत चाल है
परिवर्तन सृष्टि की नियत है
पल-पल बदल रही है
युग युगांतरों से चल रही है
देखते हुए चल रहा हूं
अपनी ही परिधि में निरपेक्ष और अप्रभावित
सृष्टा की सृष्टि में

सुरेश कुमार चतुर्वेदी

Language: Hindi
3 Likes · 4 Comments · 270 Views
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