मैं स्वयं हूं..👇
सलिल कण हूं, या पारावार हूं मैं
स्वयं छाया, स्वयं आधार हूं मैं
बंधा हूं, स्वप्न हूं, लघु वृत्त हूं मैं
नहीं तो व्योम का विस्तार हूं मैं
न देंखे विश्व, पर मुझको घृणा से
मनुज हूं, सृष्टि का श्रृंगार हूं मैं
पुजारिन, धुलि से मुझको उठा ले
तुम्हारे देवता का हार हूं मैं।