“मैं सब कुछ सुनकर मैं चुपचाप लौट आता हूँ “मैं सब कुछ सुनकर भी चुपचाप लौट आता हूँ स्वाभिमान से भी बड़ा परिवार का पेट पाता हूँ” ©दुष्यंत ‘बाबा’